
आईआईएम रायपुर में ‘मैनेजमेंट थ्रू फिल्म्स‘ कोर्स के तहत जयपुर सेंट्रल जेल में बनी चर्चित फिल्म ‘रोड टू रिफॉर्म’ की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित की गई। फिल्म के निर्देशक संजीव शर्मा, शिक्षकों और छात्रों ने इस अवसर पर सामाजिक सुधार, नेतृत्व और पुनर्वास जैसे विषयों पर गहन चर्चा की।
कैदियों के पुनर्वास पर केंद्रित एक अनूठी पहल
‘रोड टू रिफॉर्म’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है, जिसमें वास्तविक कैदियों को कलाकार के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह फिल्म सीमा और दिनकर नामक पात्रों के संघर्ष की कहानी दिखाती है, जो समाज में पुनः अपनी पहचान बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
फिल्म का निर्देशन तीन बार लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराने वाले और डीजी कमेंडेशन रोल से सम्मानित निर्देशक संजीव शर्मा ने किया है। यह फिल्म इस मायने में ऐतिहासिक है कि जयपुर सेंट्रल जेल के बाहर एक सड़क का नाम ‘रोड टू रिफॉर्म‘ रखा गया।
प्रबंधन और सामाजिक सुधार की नई परिभाषा
आईआईएम रायपुर के छात्रों ने फिल्म को न केवल पुनर्वास और नेतृत्व विकास के दृष्टिकोण से देखा, बल्कि कॉर्पोरेट लीडरशिप और नैतिकता के गहरे आयामों को भी समझा।
प्रोफेसर मृणाल चावड़ा ने फिल्म की सराहना करते हुए कहा,
“‘रोड टू रिफॉर्म’ ने पारंपरिक सोच को तोड़ते हुए छात्रों को कॉर्पोरेट नेतृत्व और सामाजिक सुधार के नए आयाम समझने के लिए प्रेरित किया। प्रबंधन केवल आंकड़ों और रणनीतियों तक सीमित नहीं होता, बल्कि इसमें मानवीय पहलुओं को समझना और समाज में सार्थक बदलाव लाना भी शामिल है।”
निर्देशक संजीव शर्मा की प्रतिक्रिया
स्क्रीनिंग के बाद संजीव शर्मा ने कहा,
“आईआईएम रायपुर की यह पहल केवल एक फिल्म दिखाने का कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह नेतृत्व, सहानुभूति और बदलाव पर आधारित एक सशक्त संवाद था। यह भविष्य के नेताओं को परंपरागत सोच से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।“
आईआईएम रायपुर ने इस फिल्म को नेतृत्व, सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता के मूल्यों को मजबूत करने के एक प्रभावी साधन के रूप में देखा। यह स्क्रीनिंग फिल्मों के जरिए प्रबंधन और समाज में बदलाव लाने की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण बनी।









